चित्तौड़गढ़ किला वीरता की मिसाल |
👉उत्तर भारत के सबसे महत्वपूर्ण किलों में से एक चित्तौड़गढ़ का किला राजपूतों के साहस, शौर्य, त्याग, बलिदान और बड़प्पन का प्रतीक है। चित्तौड़गढ़ का यह किला राजपूत शासकों की वीरता, उनकी महिमा एवं शक्तिशाली महिलाओं के अद्धितीय और अदम्य साहस की कई कहानियों को प्रदर्शित करता है।
👉राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में बेराच नदी के किनारे स्थित चित्तौड़गढ़ के किले को न सिर्फ राजस्थान का गौरव माना जाता है, बल्कि यह भारत के सबसे विशालकाय किलों में से भी एक है, जिसका निर्माण 7वीं शताब्दी में मौर्य शासकों द्धारा किया गया था।
👉करीब 700 एकड़ की जमीन में फैला यह विशाल किला अपनी भव्यता, आर्कषण और सौंदर्य की वजह से साल 2013 में यूनेस्को द्धारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है।
👉आपको बता दें कि इस किले के निर्माण को लेकर एक किवंदति भी है, जिसके अनुसार इस किले का निर्माण सिर्फ एक ही रात में महाभारत के समय पांच पाण्डु भाइयों में से सबसे बलशाली राजकुमार भीम ने अपने अद्भुत शक्ति का इस्तेमाल कर किया था।
👉फिलहाल, चित्तौड़गढ़ का यह किला प्राचीन कलाकृति के सर्वोत्तम उदाहरण में से एक है। तो आइए जानते हैं भारत के इस सबसे बड़े किले के इतिहास और इससे जुड़े रोचक एवं दिलचस्प तथ्यों के बारे में –
👉चित्तौड़गढ़ किले का संक्षिप्त विवरण एक नजर में –
कहां स्थित है चित्तौड़गढ़- राजस्थान (भारत)
कब हुआ निर्माण -करीब 7वीं शताब्दी में
किसने करवाया निर्माण -मौर्य शासकों द्धारा।
प्रसिद्धि राजपूतों के साहस, बलिदान और वीरता का प्रतीक।
चित्तौड़गढ़ किले का निर्माण व इतिहास –
चित्तौड़गढ़ में करीब 180 मीटर की पहाड़ी में स्थित यह किला भारत का सबसे विशाल किला है, जिसके निर्माण और इतिहास हजारों साल पुराना माना जाता है।
👉इस भव्य किले के निर्माण कब और किसने करवाया इसकी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है, लेकिन महाभारत काल में भी इस विशाल किले का होना बताया जाता था। इतिहासकारों की माने तो इस विशाल दुर्ग का निर्माण मौर्य वंश के शासकों द्धारा 7वीं शताब्दी में करवाया गया था।
👉वहीं ऐसा भी कहा जाता है कि स्थानीय कबीले के मौर्य शासक राजा चित्रांग ने इस किले का निर्माण कर इसका नाम चित्रकोट रखा था।
👉इसके अलावा चित्तौड़गढ़ के इस विशाल किले के निर्माण को लेकर एक किवंदती के मुताबिक इस प्राचीनतम और भव्य किले को महाभारत के भीम ने बनवाया था, वहीं भीम के नाम पर भीमताल भीमगोड़ी, समेत कई स्थान आज भी इस क़िले के अंदर बने हुए हैं।
👉राजस्थान के मेवाड़ में गुहिल राजवंश के संस्थापक बप्पा रावल ने अपनी अदम्य शक्ति और साहस से मौर्य सम्राज्य के अंतिम शासक को युद्ध में हराकर करीब 8वीं शताब्दी में चित्तौड़गढ़ पर अपना शासन कायम कर लिया और करीब 724 ईसवी में भारत के इस विशाल और महत्वपूर्ण दुर्ग चित्तौड़गढ़ किले की 724 ईसवी में स्थापना की।
👉वहीं इसके बाद मालवा के राजा मुंज ने इस दुर्ग पर अपना कब्जा जमा लिया और फिर यह किला गुजरात के महाशक्तिशाली शासक सिद्धराज जयसिंह के अधीन रहा।
👉12वीं सदी में चित्तौड़गढ़ का यह विशाल किला एक बार फिर गुहिल राजवंश के अधीन रहा। इस तरह यह दुर्ग अलग-अलग समय पर मौर्य, सोलंकी, खिलजी, मुगल, प्रतिहार, चौहान, परमार वंश के शासकों के अधीन रह चुका है।
👉चित्तौड़गढ़ के किले पर हुए आक्रमण:
राजस्थान की शान माने जाने वाले चित्तौड़गढ़ के इस ऐतिहासिक किले पर कई हमले और युद्द भी किए गए, लेकिन समय-समय पर राजपूत शासकों ने अपने अदम्य साहस का परिचय देते हुए इस किले की सुरक्षा की।
👉अलाउद्दीन खिलजी ने किया चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर आक्रमण:
1303 ईसवी में अल्लाउद्दीन खिलजी ने इस किले पर आक्रमण किया था। दरअसल, रानी पद्मावती की खूबसूरती को देखकर अलाउद्धीन खिलजी उन पर मोहित हो गया, और वह रानी पद्मावती को अपने साथ ले जाना चाहता था, लेकिन रानी पद्मावती के साथ जाने से मना करने जिसके चलते अलाउ्दीन खिलजी ने इस किले पर हमला कर दिया।
जिसके बाद अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध रानी पद्मिनी के पति राजा रतन सिंह और उनकी सेना ने अलाउद्धीन खिलजी के खिलाफ वीरता और साहस के साथ युद्ध लड़ा,लेकिन उन्हें इस युद्ध में पराजित होना पड़ा।
वहीं निद्दयी शासक अलाउद्दीन खिलजी से युद्द में हार जाने के बाद भी रानी पद्मावती ने हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने राजपूतों की शान, स्वाभिमान और अपनी मर्यादा के खातिर इस किले के विजय स्तंभ के पास करीब 16 हजार रानियों, दासियों व बच्चों के साथ ”जौहर” या सामूहिक आत्मदाह किया।
वहीं आज भी इस किले के परिसर के पास बने विजय स्तंभ के पास यह जगह जौहर स्थली के रुप में पहचानी जाती है। इसे इतिहास का सबसे पहला और चर्चित जौहर स्थल भी माना जाता है।
इस तरह अलाउद्दीन खिलजी की रानी पद्मावती को पाने की चाहत कभी पूरी नहीं हो सकी एवं चित्तौड़गढ़ का यह विशाल किला राजपूत शासकों एवं महलिाओं के अद्धितीय साहस, राष्ट्रवाद एवं बलिदान को एक श्रद्धांली है।
👉गुजरात के शासक बहादुर शाह ने किया चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर आक्रमण:
चित्तौड़गढ़ के इस विशाल दुर्ग पर 1535 ईसवी में गुजरात के शासक बहादुर शाह ने आक्रमण किया और विक्रमजीत सिंह को हराकर इस किले पर अपना अधिकार जमा लिया।
तब अपने राज्य की रक्षा के लिए रानी कर्णावती ने उस समय दिल्ली के शासक हुमायूं को राखी भेजकर मद्द मांगी, एवं उन्होंने दुश्मन सेना की अधीनता स्वीकार नहीं की एवं रानी कर्णावती ने अपने अदम्य साहस का परिचय देते हुए करीब 13 हजार रानियों के साथ ”जौहर” या सामूहिक आत्मदाह कर दिया। इसके बाद उनके बेटे उदय सिंह को चित्तौड़गढ़ का शासक बनाया गया।
👉मुगल बादशाह अकबर ने किया चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर हमला:
मुगल शासक अकबर ने 1567 ईसवी में चित्तौड़गढ़ किले पर हमला कर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। वहीं राजा उदयसिंह ने इसके खिलाफ संघर्ष नहीं किया और इसके बाद उन्होंने पलायन कर दिया, और फिर उदयपुर शहर की स्थापना की।
👉हालाकिं, जयमाल और पत्ता के नेतृत्व में राजपूतों ने अकबर के खिलाफ अपने पूरे साहस के साथ लड़ाई लड़ी, लेकिन वे इस युद्ध को जीतने में असफल रहे, वहीं इस दौरान जयमाल, पत्ता समेत कई राजपूतों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी थी।
वहीं इसके बाद मुगल सम्राट अकबर ने चित्तौड़गढ़ के इस किले पर अपना कब्जा कर लिया और उसकी सेना ने इस किले को जमकर लूटा और नुकसान पहुंचाने की भी कोशिश की। जिसके बाद पत्ता की पत्नी रानी फूल कंवर ने हजारों रानियों के साथ ”जौहर” या सामूहिक आत्मदाह किया।
👉वहीं इसके बाद 1616 ईसवी में मुगल सम्राट जहांगीर ने चित्तौड़गढ़ के किले को एक संधि के तहत मेवाड़ के महाराजा अमर सिंह को वापस कर दिया। वहीं वर्तमान में भारत के इस सबसे बड़े किले के अवशेष इस जगह के समृद्ध इतिहास की याद दिलाते हैं।
👉चित्तौड़गढ़ किले की अनूठी वास्तुकला एवं शानदार संरचना –
राजस्थान का गौरव माना जाने वाला यह चित्तौड़गढ़ का विशाल दुर्ग करीब 700 एकड़ के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। वहीं करीब 13 किलोमीटर की परिधि में बना यह भारत का सबसे विशाल और आर्कषक दुर्गों में से एक है।
👉चित्तौड़गढ़ में यह किला गंभीरी नदी के पास और अरावली पर्वत शिखर पर सतह से करीब 180 मीटर की ऊंचाई पर बना हुआ है। राजपूतों के शौर्यता का प्रतीक माने जाने वाले इस विशाल दुर्ग के अंदर कई ऐतिहासिक स्तंभ, पवित्र मंदिर, विशाल द्धार आदि बने हुए हैं, जो कि इस दुर्ग की शोभा को और अधिक बढ़ाते हैं।
👉आपका बता दें कि चित्तौड़गढ़ के इस विशाल किले तक पहुंचने के लिए 7 अलग-अलग प्रवेश द्धार से होकर गुजरना पड़ता है, जिसमें पेडल पोल, गणेश पोल, लक्ष्मण पोल, भैरों पोल, जोरला पोल, हनुमान पोल, और राम पोल आदि द्वार के नाम शामिल हैं। वहीं इसके बाद मुख्य द्धार सूर्य पोल को भी पार करना पड़ता है।
👉यह ऐतिहासिक और भव्य दुर्ग के परिसर में करीब 65 ऐतिहासिक और बेहद शानदार संरचनाएं बनी हुई हैं, जिनमें से 19 मुख्य मंदिर, 4 बेहद आर्कषक महल परिसर, 4 ऐतिहासिक स्मारक एवं करीब 20 कार्यात्मक जल निकाय शामिल हैं।
👉इन सभी के अलावा 700 एकड़ क्षेत्रफल में फैले भारत के इस विशाल दुर्ग के अंदर सम्मिदेश्वरा मंदिर, मीरा बाई मंदिर, नीलकंठ महादेव मंदिर, श्रृंगार चौरी मंदिर, जैन मंदिर, गणेश मंदिर, कुंभ श्याम मंदिर, कलिका मंदिर, और विजय स्तंभ (कीर्ति स्तंभ) भी शोभायमान है, जो कि न सिर्फ इस विशाल किले के आर्कषण को और भी अधिक बढ़ा रहे हैं, बल्कि राजपूत वंश के गौरवशाली अतीत को भी दर्शाते हैं।
इसके साथ ही दुर्ग के अंदर बने यह स्तंभ पर्यटकों का ध्यान अपनी तरफ खींचते हैं।
👉चित्तौड़गढ़ के इस विशाल किले के अंदर मंदिर, जलाशयों और विजय स्तंभों के साथ-साथ कई बेहद सुंदर महल भी बने हुए हैं।
👉इस किले के अंदर बने राणा कुंभा, पद्धमिनी और फतेह प्रकाश महल इस किले की सुंदरता और आर्कषण को और अधिक बढ़ा रहे हैं। आपको बता दें कि फतेह प्रकाश पैलेस में मध्यकाल में इस्तेमाल किए जाने वाले अस्त्र-शस्त्र, मूर्तियां, कला समेत कई पुरामहत्व वाली वस्तुओं का बेहतरीन संग्रह किया गया है।
👉इसके साथ ही इस ऐतिहासिक महल के अंदर झीना रानी महल के पास बने शानदार गौमुख कुंड भी इस किले के प्रमुख आर्कषणों में से एक है।
👉यही नहीं चित्तौड़गढ़ किले के अंदर बने जौहर कुंड का भी अपना अलग ऐतिहासिक महत्व है। इस शानदार कुंड को देखने दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। इस किले में बने जौहर कुंड में अपने स्वाभिमान और सम्मान को बचाने के लिए रानी पद्मावती, रानी कर्णाती एवं रानी फूलकंवर ने खुद को अग्नि में न्यौछावर या जौहर ( आत्मदाह ) कर दिया था।
👉इसके साथ ही भारत के इस ऐतिहासिक और विशाल किले के परिसर में बने शानदार जलाशय (तालाब) भी इस दुर्ग की शोभा बढ़ाते हैं।
👉इतिहासकारों की माने तो पहले इस किले के अंदर पहले करीब 84 सुंदर जलाशय थे, जिसमें से केवल वर्तमान में महज 22 ही बचे हुए हैं। जिनका अपना एक अलग धार्मिक महत्व है।
👉भारत के इस विशाल चित्तौड़गढ़ दुर्ग को अगर विहंगम दृश्य से देखा जाए तो यह मछली की आकार की तरह प्रतीत होता है। मौर्यकाल में बने इस शानदार किले को राजपूताना और सिसोदियन वास्तुशैली का इस्तेमाल कर बनाया गया है, जो कि प्राचीनतम कृति का अनूठा नमूना है, साथ ही राजपूतों की अद्म्य शौर्य, शक्ति और महिलाओं के अद्धितीय साहस का प्रतीक है।
👉चित्तौड़गढ़ किले के अंदर बनी शानदार संरचनाएं एवं प्रमुख आर्कषण –
विजय स्तंभ –
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के अंदर बना विजय स्तंभ इस किले के प्रमुख आर्कषण एवं दर्शनीय स्थलों में से एक है। इस स्तंभ को मालवा के सुल्तान महमूद शाह की खिलजी ऊपर जीत के जश्न में बनाया गया था।
इस अनूठी वास्तुशैली से निर्मित विजय स्तंभ को शक्तिशाली शासक राणा कुंभा द्धारा बनवाया गया था। करीब 37.2 मीटर ऊँची इस अद्भुत संरचना के निर्माण में करीब 10 साल का लंबा समय लगा था। विजय स्तंभ की सबसे ऊपरी एवं नौवीं मंजिल पर घुमावदार सीढि़यों से पहुंचा जा सकता है, वहीं इससे चित्तौड़गढ़ शहर का अद्भुत नजारा देख सकते हैं।
👉कीर्ति स्तंभ –
भारत के इस विशाल दुर्ग के परिसर में बना कीर्ति स्तंभ या ( टॉवर ऑफ फ़ेम ) भी इस किले की सुंदरता को बढ़ा रहा है। 22 मीटर ऊंचे इस अनूठे स्तंभ का निर्माण जैन व्यापारी जीजा जी राठौर द्धारा दिया गया था।
पहले जैन तीर्थकर आदिनाथ को सर्मपित इस स्तंभ को जैन मूर्तियों से बेहद शानदार तरीके से सजाया गया है। इस भव्य मीनार के अंदर कई तीर्थकरों की मूर्तियां भी स्थापित हैं। इस तरह कीर्ति स्तंभ का ऐतिहासिक महत्व होने के साथ-साथ धार्मिक महत्व भी है।
👉राणा कुंभा महल –
राजपूतों के अदम्य साहस का प्रतीक माने जाने वाले इस विशाल चित्तौड़गढ़ के दुर्ग के परिसर में बना राणा कुंभा महल भी इस किले के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है।
यह अति रमणीय महल विजया स्तंभ के प्रवेश द्धार के पास स्थित है, इस महल को चित्तौड़गढ़ किले का सबसे प्राचीन स्मारक भी माना जाता है। वहीं उदयपुर नगरी को बसाने वाले राजा उदय सिंह का जन्म इसी महल में हुआ था।
राणा कुंभा महल में मुख्य प्रवेश द्धार सूरल पोल के माध्यम से भी घुसा जा सकता है। राणा कुंभा पैलेस में ही मीरा बाई समेत कई प्रसिद्ध कवि भी रहते थे। इस महल में कई सुंदर मूर्तियां भी रखी गई हैं, जो कि इस महल के आर्कषण को और अधिक बढ़ा रही हैं।
👉रानी पद्मिनी महल –
राजस्थान की शान माने जाने वाले चित्तौड़गढ़ किले का यह बेहद खूबसूरत और आर्कषक महल है। पद्मिनी पैलेस इस किले के दक्षिणी हिस्से में एक सुंदर सरोवर के पास स्थित है। पद्मिनी महल एक तीन मंजिला इमारत है, जिसके शीर्ष को मंडप द्धारा सजाया गया है।
अद्भुत वास्तुशैली से निर्मित यह महल पानी से घिरा हुआ है, जो कि देखने में बेहद रमणीय लगता है। 19 वीं सदी में पुर्ननिर्मित इस आर्कषक महल पर अलाउद्दीन खिलजी को रानी पद्मावती ने अपनी एक झलक दिखाने की इजाजत दी थी।
👉कुंभश्याम मंदिर –
भारत के इस सबसे विशाल किले के दक्षिण भाग में मीराबाई को समर्पित कुंभश्याम मंदिर बना हुआ है।
👉चित्तौड़गढ़ किले का शानदार लाइट एवं साउंड शो:
राजपूतों की गौरव गाथा की याद दिलाता भारत के इस विशाल दुर्ग के अंदर राजस्थान पर्यटन विभाग द्धारा साउंड और लाइट शो भी शुरु किया गया। वहीं इस शो को देखने दूर-दूर से सैलानी आते हैं।
इस अनोखे साउंड एवं लाइट शो के माध्यम से सैलानियों को इस विशाल चित्तौड़गढ़ दुर्ग के इतिहास के बारे में बताया जाता है। वहीं चित्तौड़गढ़ किले में होने वाला यह शो पर्यटकों का ध्यान अपनी तरफ आर्कषित करता है।
👉चित्तौड़गढ़ किले के बारे में रोचक तथ्य
चित्तौड़गढ़ किला भारत के सबसे बड़े किलों में से एक है, जिसे यूनेस्को द्धारा वर्ल्ड हेरिटेज साईट में भी शामिल किया गया है।
सातवीं शताब्दी में मौर्य शासकों द्धारा निर्मित इस विशाल किले का निर्माण मौर्य शासक चित्रांगदा मोरी के नाम पर चित्तौड़गढ़ पड़ा। वहीं एक प्राचीन समय में इस किले को मेवाड़ की राजधानी माना जाता था।
चित्तौड़गढ़ के इस विशाल और आर्कषक किले का इस्तेमाल 8वीं से 16वीं सदी तक राजस्थान के मेवाड़ पर शासन करने वाले सिसोदिया एवं गहलोत राजवंशों ने अपने निवासस्थान के रुप में किया था।
1568 ईसवीं में भारत के इस सबसे बड़े किले पर मुगल सम्राट अकबर ने अपना कब्जा जमाया था।
करीब 700 एकड़ के क्षेत्रफल में फैले हुए विशालकाय किले के निर्माण को लेकर एक किवंदती यह भी है कि, इस किले का निर्माण हजारों साल पहले द्धापर युग में पांडवों के सबसे शक्तिशाली भाई राजकुमार भीम ने अपने ताकत का इस्तेमाल कर एक ही रात में किया था।
चित्तौड़गढ़ के इस विशाल दुर्ग के परिसर में करीब 65 ऐतिहासिक एवं बेहद शानदार संरचनाएं बनी हुई हैं। जिसमें आर्कषक महल, विशाल मंदिर, सुंदर सरोवर आदि बनाए गए हैं।
इस किले में 7 विशाल और ऊंचे प्रवेश द्धार इस तरह बनाए गए हैं कि, दुश्मनों द्धारा हाथी और ऊंट पर ख़ड़े होने पर भी इस किले के अंदर नहीं देखा जा सकता था।
चित्तौड़गढ़ के इस विशालकाय किले के अंदर करीब 84 बेहद आर्कषक जल निकाय शामिल थे, जिनमें से वर्तमान में सिर्फ 22 ही बचे हैं।
इस विशाल किले के अंदर कई प्रसिद्ध मंदिर, सुंदर महल एवं जलाशयों के अलावा दो प्राचीन स्तंभ कीर्ति स्तंभ और विजय स्तंभ भी बने हुए हैं, जो कि न सिर्फ इस किले के आर्कषण को बढ़ाते हैं, बल्कि राजपूतों के गौरवशाली इतिहास को दर्शाते हैं।
चित्तौड़गढ़ किले के अंदर प्रचीन समय में करीब 1 लाख से भी ज्यादा लोग रहते थे।
180 मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित भारत के इस विशालकाय दुर्ग में राजस्थान में लगने वाले राजपूतों के सबसे बड़े ”जौहर मेले” का भी आयोजन किया जाता है।
इस किले की भव्यता और आर्कषण को देखकर साल 2013 में इस विशाल किले को यूनेस्कों द्धारा विश्व विरासत की लिस्ट में शामिल किया गया था।
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले की अरावली पहाड़ी पर स्थित यह विशालकाय किला महिलाओं का प्रमुख जौहर स्थल भी माना जाता था।
जौहर प्रथा, एक प्रकार की सती प्रथा की तरह ही थी, लेकिन इस प्रथा का इस्तेमाल तब किया जाता था,जब कोई सम्राट किसी युद्ध में दुश्मनों से हार जाता था, तब सम्राटों की पत्नियां एवं दासियां विरोधी राजाओं से खुद को बचाने कि लिए एवं अपने, सम्मान, मर्यादा और स्वाभिमान को रखने के लिए खुद को जौहर कुंड की अग्नि में न्योछावर कर देती थी।
👉चित्तौड़गढ़ के किले को विहंगम दृश्य से देखा जाए तो यह मछली का आकार का प्रतीत होता है।
इस विशालकाय किले को चित्तौर, चित्तौरगढ़, और चितोड़गढ़ समेत अन्य नामों से भी जाना जाता है।
भारत का यह सबसे बड़ा किला राजपूत शासकों के अदम्य साहस, स्वाभिमान, शौर्य, त्याग एवं बलिदान का प्रतीक है।
राजस्थान का गौरव माने जाने वाला यह किला अपनी अनूठी वास्तुकला, अद्भुत बनावट, भव्यता एवं इस किले के परिसर में बने कई आर्कषक पर्यटक स्थलों जैसे कि महल, स्तंभ, जलाशय,मंदिर एवं अरावली की चोटी के अद्भुत नजारा के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध है। इस किले को देखने देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी पर्यटक आते हैं।
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English Traslation:-
Chittorgarh Fort
One of the most important forts of North India, the fort of Chittorgarh symbolizes the courage, valor, sacrifice, sacrifice and nobility of the Rajputs. This fort of Chittorgarh displays many stories of the valor of the Rajput rulers, their glory and the unique and indomitable courage of powerful women.
The fort of Chittorgarh, situated on the banks of the Berach river in Chittorgarh district of Rajasthan, is not only considered the pride of Rajasthan, but it is also one of the largest forts in India, which was built by the Maurya rulers in the 7th century.
This huge fort spread over 700 acres of land has been declared a World Heritage Site by UNESCO in the year 2013 due to its grandeur, attractiveness and beauty.
Let me tell you that there is also a legend about the construction of this fort, according to which the fort, the most powerful of the five Pandu brothers, Bhima used his amazing power during the Mahabharata in just one night.
Currently, this fort of Chittorgarh is one of the best examples of ancient artwork. So let's know about the history of this biggest fort of India and the interesting and interesting facts related to it -
Brief description of Chittorgarh Fort at a glance -
Where is Chittorgarh - Rajasthan (India)
When did construction happen - around 7th century
Who got the construction done - by the Mauryan rulers.
A symbol of courage, sacrifice and valor of the fame Rajputs.
Construction and History of Chittorgarh Fort -
Located in a hill of 180 meters in Chittorgarh, this fort is the largest fort in India, whose construction and history is believed to be thousands of years old.
There is no strong information about when and who got the construction of this magnificent fort, but it was said to be in the Mahabharata period also. According to historians, this huge fort was built in the 7th century by the rulers of the Maurya dynasty.
It is also said that this fort was built by the Mauryan ruler Raja Chitrang of the local clan and named it Chitrakote.
Apart from this, according to a legend about the construction of this huge fort of Chittorgarh, this ancient and grand fort was built by Bhima of Mahabharata, while many places including Bhimtal Bhimgodi, named after Bhima, still remain inside this fort.
Bappa Rawal, the founder of the Guhil dynasty in Mewar, Rajasthan, defeated the last ruler of the Mauryan Empire in battle with his indomitable strength and courage and established his rule over Chittorgarh in the 8th century and this huge and important fortress of India in about 724 AD. Chittorgarh Fort was established in 724 AD.
After this, King Munj of Malwa took possession of this fort and then this fort was under the powerful ruler of Gujarat, Siddharaj Jai Singh.
In the 12th century, this huge fort of Chittorgarh once again came under the Guhil dynasty. In this way, this fort has been under the rulers of Maurya, Solanki, Khilji, Mughal, Pratihar, Chauhan, Parmar dynasty at different times.
Attack on Chittorgarh Fort:
This historic fort of Chittorgarh, considered the pride of Rajasthan, was also attacked and fought, but from time to time, Rajput rulers showed their indomitable courage and protected this fort.
Alauddin Khilji attacked Chittorgarh fort
This fort was attacked by Allauddin Khilji in 1303 AD. Indeed, seeing the beauty of Rani Padmavati, Alauddin Khilji was fascinated by them, and he wanted to take Rani Padmavati with him, but refused to go with Rani Padmavati, which led to Alauddin Khilji attacking this fort.
After which Rani Padmini's husband Raja Ratan Singh and his army, famous for its beauty, fought the battle against Alauddin Khilji with valor and courage, but they had to be defeated in this war.
At the same time, Rani Padmavati did not lose courage even after losing the war to the unconquered ruler Alauddin Khilji, and for the dignity, self-respect and dignity of the Rajputs, along with about 16 thousand queens, slaves and children near the victory pillar of this fort "Jauhar Or committing mass self-immolation.
Even today, this place near the Vijay Pillar built near the premises of this fort is known as Johar Sthal. It is also considered to be the earliest and well-known Jauhar site in history.
In this way, the desire of Alauddin Khilji's queen Padmavati could never be fulfilled and this huge fort of Chittorgarh is a tribute to the great courage, nationalism and sacrifice of the Rajput rulers and women.
The ruler of Gujarat Bahadur Shah attacked the Chittorgarh fort.
In 1535 AD, the ruler of Gujarat, Bahadur Shah, attacked this huge fort of Chittorgarh and defeated Vikramjit Singh and took possession of this fort.
Then, to protect her kingdom, Queen Karnavati sent a rakhi to Humayun, the ruler of Delhi at that time, and she did not accept the subjugation of the enemy army and Queen Karnavati showed her indomitable courage with about 13 thousand queens. Or committing mass self-immolation. After this, his son Uday Singh was made the ruler of Chittorgarh.
Mughal Emperor Akbar attacked Chittorgarh fort
The Mughal ruler Akbar attacked Chittorgarh Fort in 1567 AD and established his suzerainty. At the same time, King Uday Singh did not fight against it and after that he escaped, and then founded the city of Udaipur.
The Rajputs led by लाhalakin, Jaimal and Patta fought with all their courage against Akbar, but they failed to win this war, while many Rajputs including Jaimal, Patta lost their lives during this period.
At the same time, the Mughal Emperor Akbar took possession of this fort of Chittorgarh and his army looted the fort and tried to damage it. After this, Rani Phool Kanwar, the wife of Patta, performed "Jauhar" or mass self-immolation with thousands of queens.
Thereafter, in 1616 AD, the Mughal Emperor Jahangir returned the fort of Chittorgarh to Maharaja Amar Singh of Mewar under a treaty. At the same time, the remains of this largest fort in India reminds us of the rich history of this place.
Unique architecture and magnificent structure of Chittorgarh Fort -
Considered the pride of Rajasthan, this huge fort of Chittorgarh is spread over an area of about 700 acres. At the same time, it is one of the largest and attractive fortifications in India, built in a radius of about 13 kilometers.
This fort in Chittorgarh is situated near the Gambhiri river and on the Aravalli mountain peak at a height of about 180 meters from the surface. Considered as a symbol of bravery of Rajputs, there are many historical pillars, sacred temples, huge shrines etc. inside this huge fort, which further enhances the beauty of this fort.
Let us tell you that to reach this huge fort of Chittorgarh one has to pass through 7 different entrances, including Pedal Pol, Ganesh Pol, Laxman Pol, Bhairon Pol, Jorla Pol, Hanuman Pol, and Ram Pol etc. Names are included. At the same time, the main pole Surya Pol also has to be crossed.
This historic and grand fortification complex consists of about 65 historic and extremely magnificent structures, including 19 main temples, 4 highly palatial palaces complex, 4 historical monuments and about 20 functional water bodies.
Apart from all this, inside this huge fort of India spread over 700 acres, the Sammendeshwara Temple, Meera Bai Temple, Neelkanth Mahadev Temple, Shringar Chauri Temple, Jain Temple, Ganesh Temple, Kumbh Shyam Temple, Kalika Temple, and Vijay Pillar (Kirti) Pillar) is also stunning, which not only enhances the attraction of this huge fort, but also reflects the glorious past of the Rajput dynasty.
Along with this, these pillars inside the fort attract the attention of tourists.
In this huge fort of Chittorgarh, there are many beautiful palaces along with temples, reservoirs and victory pillars.
Rana Kumbha, Vandhamini and Fateh Prakash Mahal built inside this fort are further enhancing the beauty and attractiveness of this fort. Let us tell you that in the Fateh Prakash Palace, there is an excellent collection of many items of piety, including weapons, sculptures, art used in medieval times.
Along with this, the magnificent Gaumukh kund built near Jhina Rani Mahal inside this historic palace is also one of the major attractions of this fort.
Not only this, the Jauhar Kund built inside the Chittorgarh Fort also has its own historical significance. Tourists come from far and wide to see this magnificent pool. Rani Padmavati, Rani Karnati and Rani Phoolakanvar sacrificed themselves in the fire in the fire to save their self-respect and honor in the Jauhar Kund built in this fort.
Along with this, the magnificent reservoir (pond) built in the complex of this historic and huge fort of India also adorns this fort.
According to the historians, earlier there were about 84 beautiful reservoirs inside this fort, out of which only 22 are left at present. Which have their own different religious significance.
If seen from the panoramic view of this huge Chittorgarh fort of India, it looks like the shape of a fish. This magnificent fort built in the Mauryan period is built using Rajputana and Sisodian architecture, which is a unique specimen of the oldest work, as well as the indomitable valor of Rajputs, the symbol of strength and the great courage of women.
Magnificent structures and major attractions built inside the Chittorgarh Fort
Victory Pillar -
The Vijay Pillar inside the Chittorgarh district of Rajasthan is one of the main attractions and sightseeing places of this fort. This pillar was built in celebration of the victory over the Khilji of Sultan Mahmud Shah of Malwa.
The Vijay Pillar built with this unique architectural style was built by the powerful ruler Rana Kumbha. It took a long time of about 10 years to build this amazing structure about 37.2 meters high. The top and ninth floors of the Vijay Pillar can be reached by a curved staircase, while from this you can see the amazing view of Chittorgarh city.
Kirti Pillar -
The Kirti Stambh or (Tower of Fame) built in the premises of this huge fort of India is also increasing the beauty of this fort. This unique 22 meter high pillar was built by Rathore, a Jain merchant brother-in-law.
The first Jain Tirthankara, adorned by Adinath, this pillar is decorated in very magnificent manner with Jain sculptures. Statues of many Tirthankaras are also installed inside this magnificent tower. In this way, the Kirti Stambh has historical significance as well as religious significance.
Rana Kumbha Palace -
The Rana Kumbha Mahal, built in the premises of this huge fort of Chittorgarh, which is considered a symbol of the indomitable courage of the Rajputs, is also one of the major sights of this fort.
This very delightful palace is located near the entrance of Vijaya pillar, this palace is also considered to be the oldest monument of Chittorgarh Fort. At the same time, Raja Udai Singh, who settled the city of Udaipur, was born in this palace.
The main entrance to Rana Kumbha Mahal can also be penetrated through the Sural Pol. Many famous poets including Meera Bai lived in the Rana Kumbha Palace itself. Many beautiful sculptures have also been kept in this palace, which is further increasing the attraction of this palace.
Rani Padmini Palace -
It is a very beautiful and attractive palace of Chittorgarh Fort, considered the pride of Rajasthan. The Padmini Palace is located near a beautiful lake in the southern part of this fort. The Padmini Mahal is a three-storey building, the top of which is decorated by a pavilion.
Built with amazing architectural style, this palace is surrounded by water, which looks very delightful to see. Alauddin Khilji was allowed by Queen Padmavati to show her a glimpse at this archaic palace rebuilt in the 19th century.
kumbhashyam temple -
There is a Kumbhashyam temple dedicated to Meerabai in the southern part of this largest fort of India.
Great light and sound show of Chittorgarh Fort:
A sound and light show was also started by the Rajasthan Tourism Department inside this huge fort of India, reminiscent of the Pride saga of Rajputs. At the same time, tourists come from far and wide to see this show.
Through this unique sound and light show, tourists are told about the history of this huge Chittorgarh fort. On the other hand, this show to be held in Chittorgarh Fort attracts the attention of tourists.
Interesting facts about Chittorgarh Fort
Chittorgarh Fort is one of the largest forts in India, which has also been included in the World Heritage Site by UNESCO.
Built in the seventh century by the Mauryan rulers, this huge fort was built in Chittorgarh after the name of the Mauryan ruler Chitrangada Mori. At the same time, this fort was considered as the capital of Mewar in ancient times.
This huge and attractive fort of Chittorgarh was used by the Sisodia and Gehlot dynasties who ruled Mewar in Rajasthan from 8th to 16th century as their residence.
In 1568, this largest fort of India was occupied by the Mughal emperor Akbar.
A legend about the construction of the giant fort spread over an area of 700 acres is also that, this fort was built thousands of years ago in the Daphapar era by the Pandavas' most powerful brother, Prince Bhima, using his power in one night. .
There are about 65 historical and very magnificent structures in the premises of this huge fort of Chittorgarh. In which attractive palaces, huge temples, beautiful ponds etc. have been built.
7 huge and high entry doors have been made in this fort in such a way that, even if enemies are standing on elephants and camels, they cannot be seen inside this fort.
This giant fort of Chittorgarh contained about 84 extremely attractive water bodies, out of which only 22 are left at present.
There are many famous temples, beautiful palaces and reservoirs inside this huge fort, besides two ancient pillars Kirti Pillar and Vijay Pillar, which not only increase the attraction of this fort, but also reflect the glorious history of Rajputs.
In the ancient times more than 1 lakh people lived inside the Chittorgarh Fort.
The largest "Jauhar Fair" of the Rajputs in Rajasthan is also organized in this giant fortress of India situated on a hill 180 meters high.
Seeing the grandeur and attractiveness of this fort, in 2013, this huge fort was included in the list of World Heritage by UNESCO.
Situated on the Aravali hill of Chittorgarh district of Rajasthan, this giant fort was also considered to be the major Jauhar site of women.
The Jauhar system was similar to the Sati system, but this practice was used when an emperor lost to enemies in a battle, wives and slaves of emperors to protect themselves from the opposing kings and To keep her honor, dignity and self-respect, she used to sacrifice herself in the fire of Jauhar Kund.
If you look at the fort of Chittorgarh from a bird's eye view, it looks like a fish.
This giant fort is also known by other names including Chittor, Chittorgarh, and Chittorgarh.
This largest fort of India is a symbol of indomitable courage, self-respect, valor, sacrifice and sacrifice of Rajput rulers.
Considered to be the pride of Rajasthan, this fort is famous all over India for its unique architecture, amazing texture, grandeur and the amazing view of many attractive tourist places such as palaces, pillars, reservoirs, temples and the top of the Aravalli. . Tourists come to see this fort not only from the country but also from abroad.
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