Wednesday, July 22, 2020

उमेद भवन- जोधपुर (Umaid Bhavan Jodhpur)

उमेद भवन- जोधपुर 

जय माताजी 🙏🙏🙏

उम्मैद भवन पैलेस राजस्थान (भारत) के जोधपुर ज़िले में स्थित एक महल है। यह दुनिया के सबसे बड़े निजी महलों में से एक है। यह ताज होटल का ही एक अंग है। एक सर्वेक्षण में उम्मेद भवन पैलेस को दुनिया का सबसे अच्छा होटल आंका गया है। उम्मेद भवन पैलेस का नाम इसके संस्थापक महाराजा उम्मेद सिंह के नाम पर रखा गया है।

जोधपुर के इस महल का निर्माण महाराजा उम्‍मैद सिंह ने सन 1943 में करवाया था। बलुआ पत्थर से बने इस भव्य होटल में 347 कमरे हैं। ट्रिपएडवाइजर के ‘ट्रेवलर्स च्वाइस अवॉर्ड फॉर होटल्स’ में दुनिया के शीर्ष होटल श्रेणी में इसे पहले स्थान पर रखा गया है। चित्तर पहाड़ी पर होने के कारण यह सुंदर महल ‘चित्तर पैलेस’ के रूप में भी जाना जाता है। यह भारत – औपनिवेशिक स्थापत्य शैली और डेको-कला का एक आदर्श उदाहरण है। डेको कला स्थापत्य शैली यहाँ हावी है और यह 1920 और 1930 के दशक के आसपास की शैली है।




यह महल सोलह वर्ष में बनकर तैयार हुआ था। संगमरमर और बालू पत्‍थर से बने इस महल का दृश्‍य पर्यटकों को ख़ासतौर पर लुभाता है। इस महल के संग्रहालय में पुरातन युग की घड़ियाँ और चित्रकारी आज भी संरक्षित हैं। इस स्मारक में 347 कमरे हैं और तत्कालीन जोधपुर शाही परिवार के लिए उपयोग किये जाते हैं। यही एक ऐसा बीसवीं सदी का महल है, जो बाढ़ राहत परियोजना के अंतर्गत निर्मित हुआ। जिसके कारण बाढ़ से पीड़ित जनता को रोजगार प्राप्त हुआ। बलुआ पत्थर से बना यह अतिसमृद्ध भवन अभी पूर्व शासकों का निवास स्थान है, जिसके एक हिस्से में होटल चलता है और बाकी के हिस्से में संग्रहालय।

महल को तराशे गये बलुआ पत्थरों को जोड़ कर बनाया गया था। महल के निर्माण के दौरान पत्थरों को बाँधने के लिये मसाले का उपयोग नहीं किया गया था। यह विशिष्टता बड़ी संख्या में पर्यटकों को इस महल की ओर आकर्षित करती है। इस सुंदर महल के वास्तुकार हेनरी वॉन, एक अंग्रेज थे।

 


पैलेस रोड जोधपुर में स्थित उम्मैद भवन पैलेस से मेहरानगढ़ दुर्ग से 6.5 किमी और जसवंत थढ़ की समाधि से 6 किमी दूर है। वर्तमान में उम्मैद भवन पैलेस का मालिक गज सिंह है। इस पैलेस के तीन भाग है, एक लग्ज़री ताज होटल जो (1972) से है ,एक शाही परिवार के लिए तथा एक संग्रहालय है। संग्रहालय के खुलने का समय सुबह 9 बजे से शाम 5 तक। यहाँ एक दीर्घा भी है जहाँ पर कई चीजें देखने को मिलती है।

इतिहास :-

उमैद भवन पैलेस के निर्माण का इतिहास एक संत के अभिशाप से जुड़ा है,जिन्होंने कहा था कि अच्छे शासन का पालन करनेवाले राठौड़ वंश को अकाल के एक दौर से गुजरना पड़ेंगा। इस प्रकार, 1920 के दशक में जोधपुर को लगातार तीन वर्षों तक सूखे और अकाल की स्थिति का सामना करना पड़ा।

अकाल की स्थिति का सामना करने वाले क्षेत्र के किसानों ने कुछ रोजगार प्रदान करने के लिए तत्कालीन राजा उम्मेद सिंह की सहायता मांगी, जो झारपुर में मारवाड़ के 37 वें राठौड़ शासक थे, ताकि वे अकाल की स्थिति से बच सकें । राजा, किसानों की मदद के लिए, एक भव्य महल का निर्माण करने का फैसला किया। उन्होंने महल के लिए योजना तैयार करने के लिए हेनरी वॉन लेन्चेस्टर को वास्तुकार के रूप में नियुक्त किया; लैनचस्टर सर एडविन लुटियन के समकालीन थे जिन्होंने नई दिल्ली सरकार के परिसर की इमारतों की योजना बनाई थी।




इस महल को धीमी गति से बनाया गया था क्योंकि इसका प्रारंभिक उद्देश्य स्थानीय स्तर पर अकाल-खतरनाक किसानों को रोजगार प्रदान करना था। लगभग 2,000 से 3,000 लोग इसे बनाने के लिए कार्यरत थे। महल के निर्माण की अनुमानित लागत 11 मिलियन थी।

अकाल की वजह से बना ये महल- 1930 में पड़े भीषण अकाल के दौरान तत्कालीन महाराजा उम्मेद सिंह ने लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए उम्मेद भवन का निर्माण शुरू कराया. चौदह बरस तक चले इस निर्माण पर तीन हजार लोगों को प्रत्यक्ष व हजारों लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला.

उम्मेद भवन पैलेस राजस्थान के जोधपुर ज़िले में स्थित एक महल है. जानकारी के मुताबिक, यह दुनिया के सबसे बड़े निजी महलों में से एक है. यह ताज होटल का ही एक अंग है.  इसका नाम महाराजा उम्मेद सिंह के पौत्र ने दिया था जो वर्तमान में मालिक है. अभी वर्तमान समय में इस पैलेस में 347 कमरे है. इस उम्मेद भवन पैलेस को छीतर पैलेस के नाम से भी पहले जाना जाता था जब इसका निर्माण कार्य चालू था.यह पैलेस 1943 में बनकर तैयार हुआ था.




उम्मेद भवन पैलेस के मालिक गज सिंह है. इस पैलेस के तीन भाग है , एक लग्ज़री ताज होटल जो (1972) से है ,एक शाही परिवार के लिए और एक संग्रहालय है. संग्रहालय के खुलने का समय सुबह 9 बजे से शाम 4 तक. यहां एक दीर्घा भी है जहां पर कई चीजें देखने को मिलती है. 

 बनाने की लागत एक करोड़ रुपये-  बताया जाता है कि विश्व के बेहतरीन होटल का खिताब हासिल कर चुके उम्मेद भवन के निर्माण पर उस समय डेढ़ करोड़ की भारी भरकम लागत आई. 




 विदेशों से मंगाई गई लकड़ी- उम्मेद भवन के निर्माण में लकड़ी के काम के लिए बर्मा टीक काम में ली गई. इसके लिए विशेष रूप से बर्मा(म्यांमार) से लकड़ी मंगाई गई. इसके लिए बड़ी संख्या में कारीगरों ने वर्षों तक इसके खिड़की व दरवाजों का निर्माण किया. इसके लिए बीस हजार घनफीट लकड़ी काम में ली गई. उस समय इसकी लागत साठ हजार रुपये ही आई. वर्तमान दौर में यह राशि करोड़ों में है. 

सोने का ताला खोल किया था उद्घाटन- उम्मेद भवन का उद्घाटन महाराजा उम्मेद सिंह के पुत्र व वर्तमान में पूर्व नरेश गजसिंह के पिता हनवंत सिंह के विवाह पर 13 फरवरी 1943 को किया गया. महाराजा के छोटे पुत्र सात वर्षीय दिलीप सिंह ने इसके मुख्य द्वार पर लगे सोने के ताले को खोल इसका विधिवत उद्घाटन किया. 




बिजली खर्च- भव्य उम्मेद भवन को रोशन करने के लिए अलग-अलग आकार के दस लाख मीटर लम्बाई के तार बिछाए हुए है. उस समय इसे रोशन करने को ढाई हजार किलोवाट बिजली की आवश्यकता होती थी. जबकि वर्ष 1943 में पूरे जोधपुर की बिजली की खपत इसकी एक तिहाई ही थी. 

......................................................................................................................................................................

English Translation:-

Umaid Bhawan - Jodhpur

Jai Mataji 🙏🙏🙏

Umaid Bhawan Palace is a palace located in Jodhpur district of Rajasthan (India). It is one of the largest private palace in the world. It is a part of the Taj Hotel. A survey ranked Umaid Bhawan Palace as the best hotel in the world. Umaid Bhawan Palace is named after its founder Maharaja Umaid Singh.




This palace of Jodhpur was built by Maharaja Umaid Singh in the year 1943. This grand hotel made of sandstone has 347 rooms. It has been ranked first in TripAdvisor's Traveller's Choice Award for Hotels in the world's top hotel category. Being on the Chittar hill, this beautiful palace is also known as the 'Chittar Palace'. It is a perfect example of Indo-colonial architectural style and deco-art. Deco art architectural style dominates here and is a style dating back to the 1920s and 1930s.

This palace was completed in sixteen years. The view of this palace made of marble and sandstone attracts tourists especially. Watches and paintings of the ancient era are still preserved in the museum of this palace. The memorial has 347 rooms and is used for the erstwhile Jodhpur royal family. This is one such twentieth century palace, which was built under the flood relief project. Due to which the flood affected people got employment. This opulent edifice built of sandstone is now the abode of former rulers, one part of which runs a hotel and the rest a museum.

The palace was built by carving sandstone. During the construction of the palace, spices were not used to bind stones. This uniqueness attracts a large number of tourists to this palace. The architect of this beautiful palace was Henry Vaughan, an Englishman.

The Umaid Bhawan Palace located in Palace Road Jodhpur is 6.5 km from the Mehrangarh Fort and 6 km from the tomb of Jaswant Thadar. Presently the owner of Umaid Bhawan Palace is Gaj Singh. The palace has three parts, a luxury Taj Hotel which is from (1972), a royal family and a museum. Opening time of the museum from 9 am to 5 pm. There is also a gallery where many things are seen.

History :-

The history of the construction of the Umaid Bhawan Palace is linked to the curse of a saint, who said that the Rathore dynasty that followed good governance would have to go through a period of famine. Thus, Jodhpur faced drought and famine for three consecutive years in the 1920s.

Farmers of the region facing a famine situation sought the assistance of the then king Ummed Singh, the 37th Rathore ruler of Marwar in Jharpur, to provide some employment so that he could avoid famine. The king, to help the peasants, decided to build a grand palace. He appointed Henry von Lanchester as the architect to formulate plans for the palace; Lanchester was a contemporary of Sir Edwin Lutyens who planned the buildings on the premises of the New Delhi government.

The palace was built at a slow pace as its initial objective was to provide employment to famine-threatened farmers at the local level. Approximately 2,000 to 3,000 people were employed to build it. The estimated cost of building the palace was 11 million.

This palace built due to famine - During the severe famine in 1930, the then Maharaja Umaid Singh started the construction of Umaid Bhawan to provide employment to the people. Three thousand people got direct and thousands of people got indirect employment on this construction which lasted for fourteen years.

Umaid Bhawan Palace is a palace located in Jodhpur district of Rajasthan. According to the information, it is one of the largest private palaces in the world. It is a part of the Taj Hotel. It was named by the grandson of Maharaja Umaid Singh, who is the current owner. At present, this palace has 347 rooms. This Umaid Bhawan Palace was also known as Chhatar Palace before its construction was in progress. This palace was completed in 1943.

The owner of Umaid Bhawan Palace is Gaj Singh. The palace has three parts, a luxury Taj Hotel which is from (1972), one for the royal family and one museum. Opening time of the museum from 9 am to 4 pm. There is also a gallery where many things are seen.

 The cost of making one crore rupees - It is said that the construction of Umaid Bhawan, which has acquired the title of world's best hotel, at that time cost a huge amount of one and a half crores.

 Burmese teak was used for woodwork in the construction of wood-Umaid Bhawan, imported from abroad. For this, wood was specially sourced from Burma (Myanmar). For this, a large number of artisans built its windows and doors for years. Twenty thousand cubic wood was used for this. At that time it cost only sixty thousand rupees. At present, this amount is in crores.

Gold lock was inaugurated- Umaid Bhawan was inaugurated on 13 February 1943 on the marriage of Hanwant Singh, son of Maharaja Umaid Singh and currently the father of the former King Gaj Singh. Seven-year-old Dilip Singh, the Maharaja's younger son, duly inaugurated it by opening a gold lock on its main gate.

Electricity expenditure- To illuminate the grand Umaid Bhawan, wires of different sizes are of one million meters length. At that time, two and a half thousand kilowatts of electricity was required to illuminate it. Whereas in the year 1943, electricity consumption of entire Jodhpur was only one third of it.












No comments:

Post a Comment