Saturday, June 20, 2020

चंपानेर(Champaner)

चंपानेर

जय माताजी🙏🙏🙏

चंपानेर भारत के गुजरात राज्य के पंचमहाल ज़िले में स्थित एक नगर है।





चंपानेर गुजरात में बड़ौदा से 21 मील (लगभग 19.2 कि.मी.) और गोधरा से 25 मील (लगभग 40 कि.मी.) की दूरी पर स्थित है। यह गुजरात की मध्ययुगीन राजधानी थी। चांपानेर, जिसका मूल नाम 'चंपानगर' या 'चंपानेर' भी था, की जगह वर्तमान समय में पावागढ़ नामक नगर बसा हुआ है। यहाँ से चांपानेर रोड स्टेशन 12 मील (लगभग 19.2 कि.मी.) है। इस नगर को जैन धर्म ग्रन्थों में तीर्थ स्थल माना गया है। जैन ग्रन्थ 'तीर्थमाला चैत्यवदंन' में चांपानेर का नामोल्लेख है- 'चंपानेरक धर्मचक्र मथुराऽयोध्या प्रतिष्ठानके -।' पावागढ़ पहाड़ी के शिखर पर बना कालिका माता मंदिर पावन स्थल माना जाता है। पहाड़ी पर बना यह काली मंदिर बहुत प्राचीन है। कहा जाता है कि विश्वामित्र ने उसकी स्थापना की थी। इन्हीं ऋषि के नाम से इस पहाड़ी से निकलने वाली नदी 'विश्वामित्री' कहलाती है। महदजी सिंधिया ने पहाड़ी की चोटी पर पहुँचने के लिए सीढ़ियाँ बनवाईं थीं। चांपानेर तक पहुँचने के लिए सात दरवाजों में से होकर जाना पड़ता है। यहां वर्षपर्यन्त बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।




चांपानेर का इतिहास 

चंपानेर की स्थापना चावड़ा वंश के राजा वनराज चावड़ा ने की थी। उनके एक मंत्री का नाम चंपाराज था, जिसके नाम पर इस जगह का नामकरण हुआ। कुछ लोगों का मानना है कि चंपानेर नाम ‘चंपक’ फूल के कारण पड़ा है, क्योंकि इस क्षेत्र के पाए जाने वाले आग के चट्टानों में भी फूलों की तरह ही पीलापन देखने को मिलता है। चंपानेर के ठीक ऊपर बने पावागढ़ किले को खिची चौहान राजपूतों द्वारा बनवाया गया था। बाद में इसपर महमूद बेगड़ा ने कब्जा कर लिया। महमूद बेगड़ा ने इसे अपनी राजधानी बनाया। उन्होंने इसका नाम महमूदाबाद रखा और इस शहर के पुननिर्माण और सजावट के लिए यहां 23 साल गुजारे। बाद में मुगलकाल के दौरान अहमदाबाद को राजधानी बनाया गया, जिससे चंपानेर का गौरव और महत्व खो गया। कई सालों तक तो यह जंगल का हिस्सा रहा। 




हालांकि बाद में जब अंग्रेजों ने सर्वे कराया तो चंपानेर का खोया गौरव फिर से वापस आ गया। शहर की उत्कृष्ट वास्तुशिल्पीय खूबसूरती को देखने के लिए बड़ी संख्या में यहां लोग आते हैं। चंपानेर और आसपास के पर्यटन स्थल चंपानेर में घूमने के लिए बहुत कुछ है। यहां आप चंपानेर की मस्जिदें, सिकंदर शाह का कब्र, हलोल, सकर खान दरगाह, मकाई कोठार/नवलखा कोठार, किला, हेलीकल बावली, ईंट का मकबरा और पावागढ़ किला देख सकते हैं। इसके अलावा यहां के प्रचीन मंदिर, किले की दीवारें, जांबुघोड़ा वन्यजीव अभ्यारण्य, केवड़ी ईको कैंपसाइट और धानपरी ईको कैंपसाइट भी काफी महत्वपूर्ण है। पावागढ़ किला की दीवारों के कुछ हिस्सों का अस्तित्व आज भी है। चंपानेर वड़ोदरा से सिर्फ 45 किमी दूर है, जिससे बस और दूसरे वाहनों से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। 2004 में चंपानेर को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।





मुग़लों का अधिकार

1535 ई. में मुग़ल बादशाह हुमायूँ ने चांपानेर दुर्ग पर अधिकार कर लिया, पर यह आधिपत्य धीरे-धीरे शिथिल होने लगा और 1573 ई. में अकबर को नगर का घेरा डालना पड़ा और उसने फिर से इसे हस्तगत कर लिया। इस प्रकार संघर्षमय अस्तित्व के साथ चांपानेर मुग़लों के कब्जे में प्राय: 150 वर्षों तक रहा। 1729 ई. में सिंधिया का यहाँ अधिकार हो गया और 1853 ई. में अंग्रेज़ों ने सिंधिया से इसे लेकर बंबई (वर्तमान मुम्बई) प्रांत में मिला दिया। वर्तमान चांपानेर मुस्लिमों द्वारा बसाई गई बस्ती है। राजपूतों के समय का चांपानेर यहाँ से कुछ दूर है।






कालिका माता मंदिर चंपानेर पावागढ़ –




चंपानेर-पावागढ़ पुरातात्विक पार्क के दर्शनीय स्थलों में पार्क के निकट ही यहाँ का सबसे पुराना और सबसे प्रसिद्ध कालिका माता मंदिर स्थित है। मंदिर तक पहुँचने के लिए सीढ़ियों का लम्बा सफ़र तय करना पड़ता हैं। क्योंकि यहाँ के जंगलो के बीच मंदिर बहुत ऊंचाई पर स्थित हैं। पर्यटक जैसे ही मंदिर में प्रवेश करते हैं उन्हें मंदिर के तीनो प्रमुख देवताओं के दर्शन प्राप्त होते हैं। सभी मूर्तियों के बीचों बीच कलिका माता की मूर्ती बाई ओर बहुचरमाता की मूर्ती और दाई ओर देवी काली का आकर्षण हैं।

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English Translation:-

Champaner

Jai Mataji🙏🙏🙏

Champaner is a city located in the Panchmahal district of the Indian state of Gujarat.

Champaner is located 21 miles (about 19.2 km) from Baroda in Gujarat and 25 miles (about 40 km) from Godhra. It was the medieval capital of Gujarat. Champaner, which was originally named 'Champanagar' or 'Champaner', is replaced by a city called Pavagadh at the present time. The Champaner Road station is 12 miles (19.2 km) from here. This city is considered as a pilgrimage site in the Jain scriptures. In the Jain text 'Teerthamala Chaityavadan', Champaner is named - 'Champanerk Dharmachakra Mathurayodhya Pratishthan -.' The Kalika Mata Temple built on the summit of Pavagadh hill is considered a holy place. This Kali temple built on the hill is very ancient. Vishwamitra is said to have founded it. The river originating from this hill in the name of these sages is called 'Vishvamitri'. Mahdji Scindia had built stairs to reach the top of the hill. To reach Champaner one has to go through seven gates. A large number of devotees visit the place year after year.

History of Champaner

Champaner was founded by King Vanraj Chavda of the Chavada dynasty. One of his ministers was named Champaraja, after whom the place was named. Some people believe that the name Champaner is derived from the flower 'Champak', because the fire rocks found in this area also have yellowish appearance like flowers. The Pavagadh fort built just above Champaner was built by the Khichi Chauhan Rajputs. Later Mahmud Begada captured it. Mahmud Begada made it his capital. He named it Mahmudabad and spent 23 years here for the reconstruction and decoration of this city. Ahmedabad was later made the capital during the Mughal period, losing the pride and importance of Champaner. For many years it was part of the forest.

However, when the British conducted the survey later, the lost glory of Champaner returned again. People come here in large numbers to see the city's architectural excellence. Tourist places in and around Champaner Champaner has much to offer. Here you can see the mosques of Champaner, the tomb of Sikandar Shah, Halol, Sakar Khan Dargah, Makai Kothar / Navlakha Kothar, Fort, Helical Baoli, Brick Tomb and Pavagad Fort. Apart from this, ancient temples, fort walls, Jambughoda Wildlife Sanctuary, Kevadi eco campsite and Dhanpari eco campsite are also important here. Parts of the walls of Pavagadh Fort still exist today. Champaner is just 45 km from Vadodara, making it easily accessible by bus and other vehicles. In 2004, Champaner was declared a UNESCO World Heritage Site.

Mughal authority

In 1535 AD, the Mughal emperor Humayun took over the Champaner fort, but this suzerainty gradually began to subside and in 1573 AD Akbar had to encircle the city and he annexed it again. Thus with a struggling existence, Champaner remained in the possession of the Mughals for 150 years. Scindia gained authority here in 1729 AD and in 1853 AD the British took it from Scindia and merged it with Bombay (present-day Mumbai) province. The present Champaner is a settlement inhabited by Muslims. The Champaner of the Rajput times is far from here.


Kalika Mata Temple Champaner Pavagadh -

Among the scenic spots of Champaner-Pavagadh Archaeological Park, the oldest and most famous Kalika Mata Temple is situated near the park. To reach the temple, a long journey of stairs has to be fixed. Because the temples are situated at very high altitude among the forests here. As soon as the tourists enter the temple, they get darshan of the three major deities of the temple. In the midst of all the idols, Kalika Mata's idol is on the left and the idol of Bahucharamata and on the right is the attraction of Goddess Kali.








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