Tuesday, June 9, 2020

आमेर का किला(Amer Fort)

आमेर का किला

जय माताजी🙏🙏🙏
कहां स्थित है :-राजस्थान के जयुपर से करीब 11 किलोमीटर की दूरी पर आमेर में स्थित है।
कब हुआ निर्माण :-16 वीं शताब्दी
किसने करवाया निर्माण :-राजा मानसिंह, सवाई जयसिंह, मिर्जा जयसिंह
आामेर के किले का निर्माण एवं इसका रोचक इतिहास –
हिन्दू- राजपूताना वास्तुशैली से निर्मित आमेर का किला राजस्थान के सबसे बड़े किलों में से एक है, जो कि जयपुर से करीब 11 किलोमीटर की दूरी पर अरावली की पहाड़ियों पर स्थित है। वहीं अगर आमेर के इतिहास और इस किले के निर्माण पर नजर डालें तो यह पता चलता है कि आमेर, पहले सूर्यवंशी कछवाहों की राजधानी रह चुका है, जिसका निर्माण मीनास नामक जनजाति द्धारा करवाया गया था।




इतिहासकारों की माने तो राजस्थान के इस सबसे बड़े आमेर के किले का निर्माण 16 वीं शताब्दी में राजा मानसिंह प्रथम द्धारा करवाया गया था। जिसके बाद करीब 150 सालों तक राजा मानसिंह के उत्तराधिकारियों और शासकों ने इस किले का विस्तार और नवीनीकरण का काम किया था।
इसके बाद सन् 1727 में सवाई जय सिंह द्धितीय शासन ने अपने शासनकाल के दौरान अपनी राजधानी आमेर से जयपुर को बना लिया, उस समय जयपुर की हाल ही में स्थापना की गई थी। आपको बता दें कि जयपुर से पहले कछवाहा राजवंश की राजधानी आमेर ही था। भारत के सबसे प्रचीनतम किलों में से एक आमेर के किले को पहले कदीमी महल के नाम से जाना जाता था, इसके अंदिर शीला माता देवी का मशहूर मंदिर भी स्थित है, जिसका निर्माण राजा मान सिंह द्धारा करवाया गया था।
कुछ लोगों का मानना है कि इस किले का नाम आमेर, भगवान शिव के नाम अंबिकेश्वर पर रखा गया था। जबकि, कुछ लोग आमेर किले के नाम को लेकर को ऐसा मानते हैं कि इस किले का नाम मां दुर्गा का नाम, अंबा से लिया गया है।
राजस्थान के इस सबसे मशहूर और भव्य किले में अलग-अलग शासकों के समय में किले के अंदर कई ऐतिहासिक संरचनाओं को नष्ट भी किया गया तो कई नई शानदार इमारतों का निर्माण किया गया, लेकिन कई आपदाओं और बाधाओं को झेलते हुए भी आज यह आमेर का किला राजस्थान की शान को बढ़ा रहा है एवं गौरवपूर्ण एवं समृद्ध इतिहास की याद दिलवाता है।





आमेर के किले की अनूठी वास्तुकला एवं संरचना –
जयपुर से करीब 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित राजस्थान के इस विशाल किले का निर्माण हिन्दू और राजपुताना शैली द्धारा किया गया है। इस किले को बाहर से देखने पर यह मुगल वास्तुशैली से प्रभावित दिखाई पड़ता है, जबकि अंदर से यह किला राजपूत स्थापत्य शैली में बना हुआ है।
यह किला मुगल और हिन्दू वास्तुशैली का नायाब नमूना है। इस किले के अंदर प्राचीन वास्तुशैली एवं इतिहास के प्रसिद्द एवं साहसी राजपूत शासकों की तस्वीरें भी लगी हुई हैं। इस विशाल किले के अंदर बने ऐतिहासिक महल, उद्यान, जलाशय एवं सुंदर मंदिर इसकी खूबसूरती को दो गुना कर दते हैं।
राजस्थान के आमेर किले में पर्यटक इस किले के पूर्व में बने प्रवेश द्धार से अंदर घुसते हैं, यह द्धार किले का मुख्य द्धार है, जिसे सूरपोल या सूर्य द्धार कहा जाता है, इस द्धार का नाम पूर्व में स्थित सूर्य के उगने से लिया गया है। वहीं इस किले के अंदर दक्षिण में भी एक भव्य द्धार बना हुआ है, जो कि चन्द्रपोल द्धार के नाम से जाना जाता है। इस द्धार के ठीक सामने जलेब चौक बना हुआ है। जहां से सैलानी महल के प्रांगण में प्रवेश करते हैं।
आपको बता दें कि आमेर किले के जलेब चौक का इस्तेमाल पर पहले सेना द्वारा अपने युद्ध के समय को फिर से प्रदर्शित करने के लिए किया गया था, जिसे महिलाएं सिर्फ अपनी खिड़की से देख सकती थी। जलेब चौक से दो तरफ सीढ़ियां दिखाई देती हैं, जिनमें से एक तरफ की सीढि़यां राजपूत राजाओं की कुल देवी शिला माता मंदिर की तरफ जाती हैं।




यह मंदिर इस भव्य किले के गर्भगृह में स्थापित है, जिसका ऐतिहासिक महत्व होने के साथ-साथ अपना अलग धार्मिक महत्व भी है, वहीं जो भी पर्यटक आमेर किले की सैर करने आते हैं, वे इस मंदिर के दर्शन जरूर करते हैं। वहीं इस किले के जलेब चौक से दिखने वाली दूसरी तरफ की सीढ़ियां सिंहपोल द्धवार की तरफ जाती हैं।
वहीं इस द्धार के पास एक बेहद आर्कषक संरचना दीवान-ए-आम बनी हुई है, जहां पहले सम्राटों द्दारा आम जनता के लिए दरबार लगाया जाता था, जिसमें उनकी फरियाद सुनी जाती थी। पीले, लाल बलुआ एवं संगमरमर के पत्थरों से निर्मित इस भव्य किले के दक्षिण की तरफ गणेश पोल द्धवार स्थित है, जो कि इस किला सबसे आर्कषक और सुंदर द्धार है। इस द्धार में बेहतरीन नक्काशी एवं शानदार कारीगिरी की गई है।
वहीं इस द्दार के ऊपर भगवान गणेश जी की एक छोटी सी मूर्ति शोभायमान है, इसलिए आमेर किले के इस द्धार को गणेश द्धार कहा जाता है। शाही ढंग से डिजाइन किए गए राजस्थान के इस सबसे बड़े किले के अंदर जाने पर दीवान-ए-खास, सुख महल, शीश महल समेत कई ऐतिहासिक और बेहद आर्कषक संरचनाएं बनी हुई है। किले की इन संरचनाओं में भी अद्भुत कलाकारी दिखती है।




इसके साथ ही विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल इस भव्य दुर्ग में एक चारबाग शैली से बना हुआ एक खूबसूरत उद्याग भी है, जो कि इस किले की शोभा को अपनी प्राकृतिक छटा बिखेरकर और भी अधिक सुंदर बना रहा है। राजस्थान की यह प्राचीनतम राजपुताना विरासत करीब 2 किलोमीटर लंबे सुरंग मार्ग के माध्यम से जयगढ़ किला से भी जुड़ा हुआ है।
आपातकालीन स्थिति में सम्राटों के परिवारों को जयगढ़ दुर्ग तक पहुंचाने के लिए इस सुरंग का निर्माण किया गया था। इस किले के पास से जयगढ़ दुर्ग और इसके आसपास का बेहद खूबसूरत नजारा दिखाई देता है। राजस्थान के सबसे महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध दुर्गों में से एक आमेर के किले की सुंदरता और भव्यता को देखने हर साल भारी संख्या में पर्यटक आते हैं।
आमेर किले के प्रमुख आर्कषण एवं दर्शनीय स्थल –




दीवान-ए-आम – Diwan-E-Aam
जयपुर की अरावली पहाड़ी पर स्थित इस विशाल दुर्ग के परिसर में बनी ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण संरचनाओं में दीवान-ए-आम बेहद खास है। इसका निर्माण राजा जय सिंह द्धारा किया गया था। दीवान-ए-आम, को आम जनता के लिए बनाया गया था, इस भव्य हॉल में सम्राटों द्धारा आम जनता की समस्याएं सुनी जाती थी और उसका निस्तारण किया जाता है।
इस खास ऐतिहासिक संरचना को शीशे के पच्चीकारी काम के साथ बेहद शानदार नक्काशीदार स्तंभों के साथ बनाया गया है। इस हॉल में बेहद आर्कषक 40 खंभे बने हुए हैं, जिसमें से कुछ संगमरमर के भी हैं, वहीं इस खंभों पर बेशकीमती स्टॉन्स लगे हुए हैं। इस खास ऐतिहासिक इमारत के पत्थरों पर अलग-अलग बेहद सुंदर चित्रों की मूर्तियां खुदी हुई हैं।




सुख निवास – Sukh Niwas
राजस्थान के इस विशाल किले के अंदर बने दीवान-ए-आम के ठीक सामने बेहद सुंदर सुख निवास बना हुआ है, जो कि इस किले के प्रमुख आर्कषणों में से एक है। सुख निवास के दरवाजे चंदन के हैं, जिसे हाथी के दांतो से सजाया गया है।
इतिहासकारों की माने तो इस किले के परिसर में बने सुख निवास में सम्राटों अपनी रानियों के साथ अपना कीमती समय बिताते थे। इसी वजह से इसे सुख निवास के रुप में जाना जाता है। सुख निवास की अद्भुत कलाकारी और बेहतरीन नक्काशी पर्यटकों का ध्यान अपनी तरफ खींचती है।




शीशमहल – Sheesh Mahal Amer Fort
विश्व धरोहर की सूची में शामिल आमेर के इस विशाल किले के अंदर बना शीश महल, यहां के प्रमुख आर्कषणों में से एक है। इस महल को कई सुंदर दर्पणों से मिलकर बनाया गया है। शीश महल को बेहद अनूठे तरीके से निर्मित किया गया है, शीश महल के अंदर जब कुछ प्रकाश की किरण पड़ती है, तब पूरे हॉल में रोशनी हो जाती है। शीश महल की खास बात यह है कि इसे प्रकाशित करने के लिए सिर्फ एक मोमबत्ती की रोश्नी ही काफी है।




गणेश पोल – Ganesh Pol
गणेश पोल, भी आमेर के इस विशाल किले में बनी मुख्य ऐतिहासिक संरचनाओं में से एक है। किले के अंदर बने दीवान-ए-आम के दक्षिण की तरफ गणेश पोल स्थित है। गणेश पोल का निर्माण राजा जय सिंह द्धितीय ने करीब 1611 से 1667 ईसवी के बीच करवाया था।
गणेश पोल, राजस्थान की शान माने जाने वाले इस विशाल दुर्ग के बने 7 बेहद आर्कषक औऱ सुंदर द्धारों में से एक है। इस शानदार द्धार के बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि, जब कोई भी सम्राट किसी युद्द को जीतकर आते हैं, किले के इस मुख्य द्धार से प्रवेश करते थे, जहां फूलों की वर्षा के साथ राजाओं का स्वागत किया जाता था।
किले के इस आर्कषक द्दार को बेहद शानदार तरीके से सजाया गया है , इस द्धार में ऊपर के हिस्से में गणेश भगवान की एक छोटी सी मूर्ति स्थापित है, जिसकी वजह से इसे गणेश पोल कहा जाता है।




चांद पोल दरवाजा – Chandpole Darwaza Amer Fort
जयुपर के पास स्थित इस विशाल आमेर दुर्ग में बना चांद पोल दरवाजा भी इस किले की प्रमुख ऐतिहासिक संरचनाओं में से एक माना जाता था। चांद पोल दरवाजा, पहले आम लोगों के प्रवेश के लिए था। यह आर्कषक दरवाजा, इस विशाल किले के पश्चिम की तरफ बना हुआ है, वहीं इस दिशा में चंद्रमा उदय की वजह से इसका नाम चांद पोल रखा गया था।
इस आर्कषक पोल के सबसे ऊपरी मंजिल में नौबतखाना बना था, जिसमें ढोल, नगाड़े एवं तबला समेत कई संगीत एवं वाद्य यंत्र बजाए जाते थे।




दिल आराम बाग – Dalaram Bagh
राजस्थान के इस सबसे विशाल दुर्ग के अंदर बना दिल आराम बाग इस किले की शोभा को और अधिक बढा़ रहा है। इस शानदार बाग का निर्माण करीब 18 वीं सदी में किया गया था। इस रमणीय बाग में सुंदर सरोवर, फव्वारे बनाए गए हैं। दिल आराम बाग की सुंदरता को देखकर हर कोई मंत्रुमुग्ध हो जाता है। इसका रमणीय आर्कषण दिल को सुकून देने वाला है, इसलिए इसका नाम दिल आराम बाग रखा गया है।




देवी शिला माता मंदिर – Shila Mata Mandir (Amber Fort)
राजस्थान के इस विशाल दुर्ग के अंदर एक प्रसिद्ध शिला माता मंदिर स्थित है। इस मंदिर को राज मान सिंह द्धारा बनवाया गया था। इस आर्कषित मंदिर को सफेद संगमरमर के पत्थरों का इस्तेमाल कर बनाया गया है। ऐसा कहा जाता है कि महान राजा मान सिंह इस मंदिर की मूर्ति को बंगला से लेकर आए थे।
जबकि कुछ लोगों का यह भी मानना है कि, केदार राजा ने जब महाराजा मानसिंह से अपनी बेटी की शादी की थी, तब उन्हें साथ में यह मूर्ति भी दी थी। फिलहाल, आमेर किले के परिसर में स्थित इस मंदिर से हजारों श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी हुई है । इस मंदिर के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। ऐसी मान्यता है कि, इस मंदिर में सच्चे मन से मांगी गई भक्तों की सभी मुरादें पूर्ण होती हैं।




दीवान-ए-खास – Diwan E Khas
दीवान-ए-खास भी इस भव्य किले के प्रमुख ऐतिहासिक संरचनाओं और आर्कषणों में से एक है। यह मनोरम संरचना मुख्य रुप से सम्राटों के मेहमानों द्धारा बनवाईं गईं थी, इसमें सम्राट अपने खास मेहमानों एवं दूसरे राजाओं के राजदूतों से मिलते थे।




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English Translation:-

Amer Fort

Jai Mataji🙏🙏🙏

Where it is located: - It is located in Amer, about 11 kilometers from Jaipur, Rajasthan.

When construction took place: -16th century

Who got the construction done: - Raja Mansingh, Sawai Jaisingh, Mirza Jaisingh

The construction of the fort of Amer and its interesting history -
Amer Fort, built in Hindu-Rajputana architecture, is one of the largest forts in Rajasthan, which is situated on the hills of Aravalli, about 11 kilometers from Jaipur. On the other hand, if we look at the history of Amer and the construction of this fort, then it is found that Amer had previously been the capital of the Suryavanshi turtles, which was built by a tribe called Meenas.

According to historians, this largest Amber Fort in Rajasthan was built by King Mansingh I in the 16th century. After which, for about 150 years, the successors and rulers of Raja Mansingh had expanded and renovated this fort.

After this, Sawai Jai Singh Secondary rule made Jaipur from its capital Amber in 1727, during which time Jaipur was recently established. Let me tell you that before Jaipur, the capital of the Kachhwaha dynasty was Amer. One of the oldest forts in India, the Amer Fort, formerly known as Kadimi Mahal, also houses the famous temple of Sheela Mata Devi, which was built by Raja Man Singh.

Some believe that this fort was named after Amber, Lord Shiva, at Ambikeswar. However, some people believe that the name of Amber Fort is derived from the name of Mother Durga, Amba.
In this most famous and grand fort of Rajasthan, during the time of different rulers, many historic structures were destroyed inside the fort, many new magnificent buildings were built, but in spite of many disasters and obstacles, today it is in Amer. The fort is enhancing the pride of Rajasthan and reminds us of a proud and rich history.

Unique Architecture and Structure of Amber Fort -
Situated about 11 km from Jaipur, this huge fort of Rajasthan has been constructed by Hindu and Rajputana style. Looking at this fort from outside, it looks influenced by Mughal architecture, while inside the fort is built in the Rajput architectural style.

This fort is a unique example of Mughal and Hindu architecture. Photos of famous and courageous Rajput rulers of ancient architecture and history are also housed inside this fort. Historical palaces, gardens, reservoirs and beautiful temples built inside this huge fort double its beauty.
In the Amber Fort of Rajasthan, tourists enter from the entrance to the east of this fort, this is the main fort of the fort, called Surpole or Surya Dardhar, the name of this shrine is derived from the rising sun in the east. . At the same time, inside this fort, a grand dhaar is also built in the south, which is known as Chandrapol Dardhar. Jaleb Chowk is built right in front of this gate. From where the tourists enter the courtyard of the palace.

Let me tell you that Jaleb Chowk of Amber Fort was first used by the army to re-display the time of their war, which women could only see from their window. Stairs are visible from Jaleb Chowk on two sides, the staircase on one side leads to the Shila Mata Temple, the total goddess of Rajput kings.
This temple is located in the sanctum sanctorum of this magnificent fort, which has its own historical significance as well as its own religious significance, while all the tourists who come to visit the Amber Fort, definitely visit this temple. At the same time, the staircase on the other side visible from Jaleb Chowk of this fort leads towards Singhpol Dadhwar.

At the same time, there is a very attractive structure near this Dhar, Diwan-i-Aam, where earlier the emperors used to hold a court for the general public, in which their complaint was heard. Ganesh Pol Dadhwar is situated on the south side of this magnificent fort built of yellow, red sandstone and marble stones, which is the most attractive and beautiful fort of this fort. In this dhaar, the finest carvings and superb craftsmanship has been done.

At the same time, a small idol of Lord Ganesha is adorned on top of this gate, so this fort of Amber Fort is called Ganesh Dardhar. Many of the historic and extremely attractive structures, including the Diwan-i-Khas, Sukh Mahal, Sheesh Mahal, remain inside this largest fort of royal designed Rajasthan. These structures of the fort also have amazing artwork.
Along with this, this grand fortress included in the list of World Heritage has a beautiful industry made of a charbagh style, which is making the beauty of this fort even more beautiful by spreading its natural shade. This oldest Rajputana heritage of Rajasthan is also connected to the Jaigad Fort via a tunnel route of about 2 km.

This tunnel was constructed to bring the families of the emperors to Jaigad fort in an emergency. Jaigad fort and the surrounding area are very beautiful from this fort. One of the most important and famous fortifications of Rajasthan, a large number of tourists visit the beauty and grandeur of the Amer Fort.

Major attractions and sightseeing places of Amer Fort -
Diwan-e-Aam -
Diwan-i-Aam is very special among the historical and important structures built in the compound of this huge fort situated on the Aravali hill of Jaipur. It was built by Raja Jai ​​Singh. The Diwan-i-Aam, was built for the general public, in this grand hall, the problems of the general public were heard by the emperors and are resolved.
This special historical structure is made with very finely carved columns with mosaic work of glass. There are 40 very attractive pillars in this hall, some of which are also of marble, while there are precious stones attached to this pillar. Sculptures of different very beautiful paintings are carved on the stones of this special historical building.

Sukh Niwas - 
Inside this huge fort of Rajasthan, there is a very beautiful Sukh Niwas in front of the Diwan-i-Aam, which is one of the main attractions of this fort. The doors of Sukh Niwas are of sandalwood, decorated with elephant teeth.
According to historians, the emperors used to spend their precious time with their queens in the Sukh Niwas built in the premises of this fort. For this reason, it is known as Sukh Niwas. The amazing artwork and exquisite carvings of Sukh Niwas attract the attention of tourists.

Shees-hmahal - Amer Fort
The Sheesh Mahal inside this huge fort of Amer included in the list of World Heritage is one of the major attractions here. This palace is made up of many beautiful mirrors. The Sheesh Mahal has been constructed in a very unique way, when some light rays fall inside the Sheesh Mahal, then the entire hall lights up. The special thing about Sheesh Mahal is that only one candle light is enough to publish it.

Ganesh Pol - 
Ganesh Pol is also one of the main historical structures built in this huge fort of Amer. Ganesh Pol is situated on the south side of Diwan-i-Aam built inside the fort. Ganesh Pol was built by Raja Jai ​​Singh Ddhitiya from about 1611 to 1667 AD.
Ganesh Pol is one of the 7 very attractive and beautiful walls made of this huge fort, which is considered the pride of Rajasthan. It is also said of this magnificent fort, that when any emperor came to win a war, he entered through this main fort of the fort, where kings were welcomed with a rain of flowers.
This archaic gate of the fort is decorated in a very magnificent way, in this top a small statue of Lord Ganesha is installed in the upper part, due to which it is called Ganesh Pol.

 Chand Pol Darwaza - 
The Chand Pol Darwaza in this huge Amer fort located near Jaipur was also considered one of the major historical structures of this fort. The Chand Pol Darwaza was earlier meant for common people to enter. This imposing door is on the west side of this huge fort, while it was named Chand Pol due to the rise of the moon in this direction.
Naubat Khana was built in the top floor of this fascinating pole, in which many music and instruments were played, including dhol, nagade and tabla.

Dil Aram Bagh - 
Dil Aaram Bagh, built inside this largest fort of Rajasthan, is increasing the beauty of this fort. This magnificent garden was built around the 18th century. Beautiful ponds, fountains have been built in this delightful garden. Everyone gets mesmerized by seeing the beauty of Dil Aaram Bagh. Its delightful attractiveness is relaxing the heart, hence it is named Dil Aram Bagh.

Devi Shila Mata Temple - Shila Mata Mandir 
A famous Shila Mata temple is located inside this huge fort of Rajasthan. This temple was built by Raj Man Singh. This arched temple is built using white marble stones. It is said that the great king Man Singh brought the idol of this temple from the bungalow.
While some people also believe that when Kedar Raja married his daughter to Maharaja Mansingh, he also gave this idol to them. Currently, thousands of devotees have their faith attached to this temple located in the premises of Amber Fort. People come from far and wide to visit this temple. It is believed that in this temple, all the wishes of the devotees sought with true mind are fulfilled.

Diwan-e-Khas -
Diwan-i-Khas is also one of the major historical structures and arches of this magnificent fort. This picturesque structure was mainly built by the guests of the emperors, in which the emperors used to meet their special guests and ambassadors of other kings.














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