भटनेर का किला
जय माताजी🙏🙏🙏
भटनेर क़िला का निर्माण ‘भूपत’ के पुत्र ‘अभय राव भाटी’ ने 295 ई. में करवाया था। भूपत जैसलमेर के राजा भाटी के बेटे थे। जिसके बाद इस किले पर तैमूर, पृथ्वीराज चौहान, अकबर, कुतुबुद्दीन ऐबक और राठौर राजाओं ने राज किया। तैमूर ने भी अपनी किताब ‘तुजुक ए तैमूरी’ में इस किले को भारत के सबसे ताकतवर किलों में से एक बताया है।
भगवान कृष्ण के वंशज यदुवंशी भाटी राजपूतों की वीरता और पराक्रम का साक्षी रहा यह दुर्ग बीकानेर से लगभग 144 मील उत्तर पूर्व में हनुमानगढ़ जिले में स्थित है। मध्य एशिया से होने वाले आक्रमणों को रोकने के लिए प्रहरी के रूप में भूमिका निभाने वाले यह किला मजबूूत रुकावट की तरह थी।
मरुस्थल से घिरे इस किले का घेरा लगभग 52 बीघा भूमि पर फैला है। दुर्ग में अथाह जलराशि वाले कुँए है व किला विशाल बुर्जों द्वारा सुरक्षित है। किले का निर्माण लोहे के समान पक्की इंटों व चुने द्वारा किया गया है जो इसके स्थापत्य की प्रमुख विशेषता है।
सन 1805 में बीकानेर के राजा सूरत सिंह ने यह किला भाटियों से जीत लिया था। इसी विजय को आधार मान कर, जो कि मंगलवार को हुई थी, इसका नाम हनुमानगढ़ रखा गया क्योंकि मंगल हनुमान जी का दिन माना जाता है। इसके ऊँचे दालान तथा दरबार तक घोडों के जाने के लिए संकड़े रास्ते बने हुए हैं।
इस किले हनुमान जी मंदिर भी हैं। महाराजा सूरतसिंह जी के पुत्र महाराजा दलपतसिंह जी के निधन के बाद उनकी छ: रानियाँ इसी दुर्ग में सती हो गई थी, जिनकी किले के प्रवेश द्वार पर एक राजा के साथ छ: स्त्रियों की आकृति बनी हुई है।
इस किले का निर्माण ईंटों और चूने के पत्थरों से हुआ है। किले में जगह-जगह कुल 52 कुंड भी हैं। जो बारिश के पानी का इस्तेमाल करने के लिए बने थे। इसके अलावा किले के अंदर शिव और हनुमान के कई मंदिर हैं।
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English Translation:-
Bhatner fort
Jai Mataji🙏🙏🙏
Bhatner's fort is in Hanumangarh in Rajasthan, India, about 419 km north-west of Jaipur and 230 km north-east of Bikaner along the old Multan-Delhi route. The old name of Hanumangarh was Bhatner, which means "Fort of Bhati". Considered to be 1700 years old, it is considered to be one of the oldest forts in India.
Bhatner Fort was built in 295 AD by 'Abhaya Rao Bhati', son of Bhupat. Bhupat was the son of Raja Bhati of Jaisalmer. After which this fort was ruled by the kings Timur, Prithviraj Chauhan, Akbar, Qutubuddin Aibak and Rathore. Timur has also described this fort as one of the most powerful forts in India in his book 'Tujuk a Taimuri'.
Witnessing the valor and valor of Yaduvanshi Bhati Rajputs, descendants of Lord Krishna, this fort is located in Hanumangarh district, about 144 miles northeast of Bikaner. The fort, which acted as a watchdog to prevent invasions from Central Asia, was a compulsive obstacle.
Surrounded by the desert, this fort is spread over about 52 bighas of land. The fort has unfathomable wells and the fort is protected by huge bastions. The fort has been constructed by an iron-like paved brick and chun, which is the main feature of its architecture.
Raja Surat Singh of Bikaner won this fort from Bhatis in 1805. Taking this victory as the base, which took place on Tuesday, it was named Hanumangarh because Mangal is considered to be the day of Hanuman. There are narrow paths for horses to reach its high hallway and court.
There is also this fort Hanuman ji temple. After the death of Maharaja Dalpat Singh, son of Maharaja Surat Singh Ji, his six queens were sati in this fort, whose figure of six women with a king at the entrance of the fort remains.
This fort is built of bricks and lime stones. There are a total of 52 pools in the fort. Which were made to use rain water. Apart from this, there are many temples of Shiva and Hanuman inside the fort.
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