गागरोन का किला
Jai Mataji🙏🙏🙏
दुनिया में सबसे अधिक किले और गढ़ यदि कहीं हैं तो वो राजस्थान में। राजस्थान के किसी भी हिस्से में चले जाइए, कोई न कोई दुर्ग या किला सीना ताने आपका इंतजार करता हुआ आपको दिख जाएगा। आज हम आपको एक ऐसे ही किले ‘गागरोन’ के बारे में बताएंगे। राजस्थान के झालावाड़ जिले में स्थित यह किला चारों ओर से पानी से घिरा हुआ है। यही नहीं यह भारत का एकमात्र ऐसा किला है जिसकी नींव नहीं है।
गागरोन का किला अपने गौरवमयी इतिहास के कारण भी जाना जाता है। सैकड़ों साल पहले जब यहां के शासक अचलदास खींची मालवा के शासक होशंग शाह से हार गए थे तो यहां की राजपूत महिलाओं ने खुद को दुश्मनों से बचाने के लिए जौहर (जिंदा जला दिया) कर दिया था। सैकड़ों की तादाद में महिलाओं ने मौत को गले लगा लिया था। इस शानदार धरोहर को यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में भी शामिल किया है।
खासियतों से भरा है यह किला
गागरोन किले का निर्माण कार्य डोड राजा बीजलदेव ने बारहवीं सदी में करवाया था और 300 साल तक यहां खीची राजा रहे। यहां 14 युद्ध और 2 जोहर (जिसमें महिलाओं ने अपने को मौत के गले लगा लिया) हुए हैं। यह उत्तरी भारत का एकमात्र ऐसा किला है जो चारों ओर से पानी से घिरा हुआ है इस कारण इसे जलदुर्ग के नाम से भी पुकारा जाता है। यह एकमात्र ऐसा किला है जिसके तीन परकोटे हैं। सामान्यतया सभी किलो के दो ही परकोटे हैं। इसके अलावा यह भारत का एकमात्र ऐसा किला है जिसे बगैर नींव के तैयार किया गया है। बुर्ज पहाडियों से मिली हुई है।
आखिर क्यों जलना पड़ा था हजारों महिलाओं को?
अचलदास खींची मालवा के इतिहास प्रसिद्ध गढ़ गागरोन के अंतिम प्रतापी नरेश थे। मध्यकाल में गागरोन की संपन्नता एवं समृद्धि पर मालवा में बढ़ती मुस्लिम शक्ति की गिद्ध जैसी नजर सदैव लगी रहती थी। 1423 ई. में मांडू के सुल्तान होशंगशाह ने 30 हजार घुड़सवार, 84 हाथी व अनगिनत पैदल सेना अनेक अमीर राव व राजाओं के साथ इस गढ़ को घेर लिया। अपने से कई गुना बड़ी सेना तथा उन्नत अस्त्रों के सामने जब अचलदास को अपनी पराजय निश्चित जान पड़ी तो उन्होंने कायरतापूर्ण आत्मसमर्पण के स्थान पर राजपूती परंपरा में, वीरता से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। दुश्मन से अपनी असमत की रक्षा के लिए हजारों महिलाओं ने मौत को गले लगा लिया था।
आखिर क्यों सैकड़ों वर्षों तक अचलदास के पलंग को किसी ने हाथ नहीं लगाया?
होशंगशाह जीत के बाद अचलदास की वीरता से इतना प्रभावित हुआ कि उसने राजा के व्यक्तिगत निवास और अन्य स्मृतियों से कोई छेड़छाड़ नहीं किया। सैकड़ों वर्षों तक यह दुर्ग मुसलमानों के पास रहा, लेकिन न जाने किसी भय या आदर से किसी ने भी अचलदास के शयनकक्ष में से उसके पलंग को हटाने या नष्ट करने का साहस नहीं किया। 1950 तक यह पलंग उसी जगह पर लगा रहा।
कई दिनों तक आती रहीं पलंग पर राजा के सोने और हुक्का पीने की आवाज
रेलवे में सुपरिटेंडेंट रहे ठाकुर जसवंत सिंह ने इस पलंग के बारे में रोचक बात बताई। उनके चाचा मोती सिंह जब गागरोन के किलेदार थे तब वे कई दिनों तक इस किले में रहे थे। उन्होंने स्वयं इस पलंग और उसके जीर्ण-शीर्ण बिस्तरों को देखा था। उन्होंने बतलाया कि उस समय लोगों की मान्यता थी कि राजा हर रात आ कर इस पलंग पर शयन करते हैं। रात को कई लोगों ने भी इस कक्ष से किसी के हुक्का पीने की आवाजें सुनी थीं।
पलंग के पास रोज मिलते थे पांच रुपए
हर शाम पलंग पर लगे बिस्तर को साफ कर, व्यवस्थित करने का काम राज्य की ओर एक नाई करता था और उसे रोज सुबह पलंग के सिरहाने पांच रुपए रखे मिलते थे। कहते हैं एक दिन रुपए मिलने की बात नाई ने किसी से कह दी। तबसे रुपए मिलने बंद हो गए। लेकिन बिस्तरों की व्यवस्था, जब तक कोटा रियासत रही, बदस्तूर चलती रही। कोटा रियासत के राजस्थान में विलय के बाद यह परंपरा धीरे-धीरे समाप्त होने लगी।
मौत की सजा के लिए होता था इसका प्रयोग
किले के दो मुख्य प्रवेश द्वार हैं। एक द्वार नदी की ओर निकलता है तो दूसरा पहाड़ी रास्ते की ओर। इतिहासकारों के अनुसार, इस दुर्ग का निर्माण सातवीं सदी से लेकर चौदहवीं सदी तक चला था। पहले इस किले का उपयोग दुश्मनों को मौत की सजा देने के लिए किया जाता था।
किले के अंदर हैं कई खास महल
किले के अंदर गणेश पोल, नक्कारखाना, भैरवी पोल, किशन पोल, सिलेहखाना का दरवाजा महत्पवूर्ण दरवाजे हैं। इसके अलावा दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, जनाना महल, मधुसूदन मंदिर, रंग महल आदि दुर्ग परिसर में बने अन्य महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल हैं।
अकबर ने बनाया था मुख्यालय
मध्ययुग में गागरोन का महत्व इस बात से मालूम होता है कि प्रसिद्ध सम्राट शेरशाह एवं अकबर महान दोनों ने इस पर व्यक्तिगत रूप से आ कर विजय प्राप्त की और इसे अपने साम्राज्य में मिला दिया। अकबर ने इसे अपना मुख्यालय भी बनाया लेकिन अंत में इसे अपने नवरत्नों में से एक बीकानेर के राजपुत्र पृथ्वीराज को जागीर में दिया।
नहीं उठी खांडा तो रास्ते में छोड़ गए चोर
खींची राजा की भारी तलवार को एक एडीसी साहब उड़ा ले गए। लेकिन वजनी खांडा चुरा कर ले जाने वाले उसका वजन न उठा सके तो उसें रास्ते में ही छोड़ गए। अब वह झालावाड़ के थाने में बंद पड़ा है। खींची राजा के सदियों पुराने पलंग और उसके बिस्तरों को लोगों ने गायब कर दिया है। तोपें लोगों ने गला दीं।
सबसे अलग हैं यहां के तोते
गागरोन के तोते बड़े मशहूर हैं ये सामान्य तोतों से आकार में दोगुने होते हैं तथा इनका रंग भी अधिक गहरा होता है इनके पंखों पर लाल निशान होते हैं नर तोते के गले के नीचे गहरे काले रंग की और ऊपर गहरे लाल रंग की कंठी होती है। कहा जाता है कि गागरोन किले की राम-बुर्ज में पैदा हुए हीरामन तोते बोलने में बड़े दक्ष होते हैं।
गागरोन का किला
मनुष्यों के जैसे बोलते हैं यहां के तोते
यहां के तोते मनुष्यों के बोली की हूबहू नकल कर लेता है। गुजरात के बहादुरशाह ने 1532 में यह किला मेवाड़ के महाराणा विक्रमादित्य से जीत लिया था। बहादुरशाह गागरोन का एक तोता अपने साथ रखता था। बाद में, जब हुमायूं ने बहादुरशाह पर विजय प्राप्त की तो जीत के सामानों में आदमी की जुबान में बोलनेवाला यह तोता भी उसे सोने के पिंजरे में बंद मिला। हुमायूं उस समय मंदसौर में था। उस समय एक सेनापति की दगाबाजी पर हुमायूं ने तोते को मारने की बात कही थी।
सेनापति की गद्दारी पर तोते ने पुकारा गद्दार-गद्दार
बहादुरशाह का सेनापति रूमी खान अपने मालिक को छोड़ कर हुमायूं से जा मिला था। कहते हैं जब रूमी खान हुमायूं के शिविर में आया तो उसे देख कर यह तोता गद्दार-गद्दार चिल्लाने लगा। इसे सुन कर रूमी खान बड़ा लज्जित हुआ तथा हुमायूं ने नाराज हो कर कहा कि यदि तोते कि जगह यह आदमी होता तो मैं इसकी जबान कटवा देता।
बेहतर पिकनिक स्पॉट
कालीसिंध व आहू नदी के संगम स्थल पर बना यह दुर्ग आसपास की हरी भरी पहाडिय़ों की वजह से पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। गागरोन दुर्ग का विहंगम नजारा पीपाधाम से काफी लुभाता है। इन स्थानों पर लोग आकर गोठ पार्टियां करते हैं। लोगों के लिए यह बेहतर पिकनिक स्पॉट है। इस शानदार धरोहर को यूनेस्को ने अपनी वर्ल्ड हेरिटेज साइट की सूची में शामिल किया है।
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English Translation:-
Gagaron Fort
Jai Mataji🙏🙏🙏
Rajasthan has the most forts and strongholds anywhere in the world. Go to any part of Rajasthan, you will see some fort or fort Sina taunts waiting for you. Today we will tell you about one such fort 'Gagron'. Located in Jhalawar district of Rajasthan, this fort is surrounded by water from all sides. Not only this, it is the only fort in India which does not have a foundation.
Gagaron Fort is also known for its glorious history. Hundreds of years ago, when the ruler of this place Achaldas Dhani was defeated by Hoshang Shah, the ruler of Malwa, the Rajput women here burnt Jauhar (burnt alive) to protect themselves from enemies. Hundreds of women embraced death. This magnificent heritage has also been included in the list of World Heritage by UNESCO.
This fort is full of features
The construction of the Gagron fort was done by Dod King Bijaldev in the twelfth century and remained the Khechi king here for 300 years. There have been 14 wars and 2 Zohars (in which women have embraced themselves to death). It is the only fort in northern India that is surrounded by water from all sides and hence it is also known as Jaladurga. It is the only fort with three walls. Generally, all kilos have only two copies. Apart from this, it is the only fort in India that has been built without foundation. The turret is joined by hills.
After all, why thousands of women had to be burnt?
Achaldas Dhani was the last majestic king of Gagaron, the famous citadel of Malwa. In the medieval period, the prosperity and prosperity of Gagaron always looked like the vulture of the growing Muslim power in Malwa. In 1423 AD, Sultan Hoshang Shah of Mandu surrounded this fort with 30 thousand cavalry, 84 elephants and countless infantry with many rich Rao and kings. When Achaldas came to know of his defeat in the face of many times bigger army and advanced weapons than him, he got Virgati while fighting heroically, in Rajput tradition, instead of cowardly surrender. Thousands of women embraced death to protect their disloyalty from the enemy.
After all, why did no one touch the bed of Achaladas for hundreds of years?
Hoshang Shah was so impressed with Achaladasa's valor after the victory that he did not tamper with the king's personal residence and other memories. This fort remained with the Muslims for hundreds of years, but with no fear or respect, no one dared to remove or destroy the bed of Achaladas from his bedroom. Until 1950, the bed remained in the same place.
The sound of the king sleeping on the bed and drinking hookah for several days
Thakur Jaswant Singh, who was a superintendent in the railways, told interesting things about this bed. When his uncle Moti Singh was the fortress of Gagaron, he lived in this fort for many days. He himself saw this bed and its dilapidated beds. He told that at that time people believed that the king comes every night and sleeps on this bed. At night many people also heard the sounds of someone's hookah drinking from this room.
The bed got five rupees daily
Every evening the bed on the bed was cleaned, arranged and a barber was done towards the state and he got five rupees at the bedside bed every morning. It is said that one day the barber told someone to get money. Since then, the money has stopped coming. But the system of beds, as long as Kota was a princely state, continued to run. After the merger of the princely state of Kota with Rajasthan, this tradition gradually came to an end.
It was used for capital punishment
The fort has two main entrances. One gate leads to the river and the other towards the mountain path. According to historians, this fort was constructed from the seventh century to the fourteenth century. Earlier this fort was used to punish the enemies to death.
There are many special palaces inside the fort
The doors of Ganesh Pol, Nakarkhana, Bhairavi Pol, Kishan Pol, Silehkhana inside the fort are important doors. Apart from this, Diwan-i-Aam, Diwan-i-Khas, Zanana Mahal, Madhusudan Temple, Rang Mahal etc. are other important historical sites built in the fortification complex.
Akbar had built headquarters
The importance of Gagaron in the medieval period is known by the fact that both the emperors Sher Shah and Akbar the Great conquered it personally and merged it with their empire. Akbar also made it his headquarters but eventually gave it to Jagir to Prithviraj, the Rajput of Bikaner, one of his Navratnas.
The thieves left on the way if Khanda did not arise
An ADC sir took away the heavy sword drawn by the king. But if the wearer could not bear the weight of the stolen Khanda, he left it on the way. Now he is locked in Jhalawar's police station. The centuries-old bed of the drawn king and its beds have been vanished by the people. The cannons strangled people.
The parrots here are different
Gagron parrots are very famous, they are twice the size of normal parrots and they are darker in color and have red markings on their wings. The male parrot has a dark black color at the bottom of its throat and a dark red color at the top. It is said that the Hiraman parrots born in the Ram-Burj of Gagaron Fort are very proficient in speaking.
Gagaron Fort
Parrots here speak like humans
The parrot here mimics the dialect of humans. In 1532 Bahadur Shah of Gujarat won this fort from Maharana Vikramaditya of Mewar. Bahadur Shah kept a parrot of Gagaron with him. Later, when Humayun conquered Bahadurshah, the parrot, which spoke in the words of the man among the goods of victory, also found him locked in a gold cage. Humayun was in Mandsaur at that time. At that time Humayun had spoken of killing a parrot on the travesty of a commander.
Parrot calls traitor on traitor of general
Bahadur Shah's commander Rumi Khan left his master and joined Humayun. It is said that when Rumi Khan came to Humayun's camp, upon seeing him, this parrot started shouting traitor-traitor. On hearing this, Rumi Khan was very ashamed and Humayun got angry and said that if there was this man in the place of parrot, I would have cut off his tongue.
Better picnic spots
This fort built at the confluence of the Kalisindh and Ahu river is a center of attraction for tourists due to the green hills surrounding it. The bird's eye view of Gagaron Durg is very appealing to Pipadham. People come to these places and do Goth parties. It is a better picnic spot for people. This magnificent heritage has been included by UNESCO in its list of World Heritage Site.